अवतार गोकुळी हो। जन तारावयासी। संपूर्ण आरती

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भगवान श्रीकृष्ण जन्माचे अभंग पहा

Gokul ashtami shrikrushn jayanti gopal kala janmache abhang

हरिविजय ३ रा अध्याय पहा (श्रीकृष्ण जन्म उत्सव करण्यासाठी

AVTAR GOKULI HO JAN TARAVAYASI ARATI

अवतार गोकुळी हो। जन
भ. श्रीकृष्ण आरती

टीप: जन्म झाल्यावर खालील आरती जरूर म्हणावी.

अवतार गोकुळी हो। जन तारावयासी।
लावण्यरुपडे हो। तेज:पुंजाळ राशी।
उगवले कोटिबिंब। रवि लोपला शशी।
उत्साह सुरवरां। महाथोर मानसी।।1।।

जय देवा कृष्णनाथा। जय रखुमाई कांता।
आरती ओवाळीन। तुम्हा देवकीसुता ।।धृ।।

कौतुक पहावया। माव ब्रह्मयाने केली।
वत्सेही चोरूनिया। सत्यलोकासी नेलीं।
गोपाळ गाईवत्सें। दोन्ही ठाई रक्षिली।
सुखाचा प्रेमसिंधु। अनाथांची माऊली।।2।।

चोरितां गोधनें हो। इन्द्र कोपलाभारी।
मेघ कडाडिला। शिला वर्षलल्या धारी।
रक्षिले गोकुळ हो। नखीं धरिला गिरी।
निर्भय लोकपाळ। अवतरले हरी।।3।।

वसुदेव देवकीचे। बंद फोडिली शाळ।
होऊनिया विश्वजनिता। तया पोटिंचा बाळ।
दैत्य हे त्रासियेले। समुळ कंसासी काळ।
राज्य हें उग्रसेना। केला मथुरापाळ।।4।।

तारिले भक्तजन। दैत्य सर्व निर्दाळूनि।
पांडवा साहाकारी। अडलिया निर्वाणी।
गुण मी काय वर्णु। मति केवढी वाणी।
विनवितो दास तुका। ठाव मागे चरणी।।5।।

****॥ विठ्ठल-विठ्ठल ॥*****

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देव जन्माचे अभंग

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