स्तोत्रे संग्रह

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।। तुळशीच्या लग्नाची मंगलाष्टके ।।

स्वस्ति श्री गणनायकं गजमुखं, मोरेश्वरं सिद्धिदं ।

बल्लाळो मुरुडं विनायकमहं, चिन्तामणि स्थेवरं ||

लेण्याद्रिं गिरिजात्मकं सुरवरदं, विघ्नेश्वरम् ओज़रम् |

ग्रामे रांजण संस्थितम् गणपतिः, कुर्यात् सदामङ्गलं || १ ||

 

गंगा सिंधु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नर्मदा ।कावेरी शरयू महेंद्रतनया

शर्मण्वती वेदिका ।।क्षिप्रा वेत्रवती महासुर नदी, ख्याता गया गंडकी ।

पूर्णा पूर्ण जलैः समुद्र सरिता, कुर्यातसदा मंगलम ।। २ ।।

 

लक्ष्मी: कौस्तुभ पारिजातक सुरा धन्वंतरिश्चंद्रमा: ।

गाव: कामदुधाः सुरेश्वर गजो, रंभादिदेवांगनाः ।।

अश्वः सप्त मुखोविषम हरिधनुं, शंखोमृतम चांबुधे ।

रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदीनम, कुर्वंतु वोमंगलम ।। ३ ।।

 

राजा भीमक रुख्मिणीस नयनी, देखोनी चिंता करी ।

ही कन्या सगुणा वरा नृपवरा, कवणासि म्यां देईजे ।।

आतां एक विचार कृष्ण नवरा, त्यासी समर्पू म्हणे ।

रुख्मी पुत्र वडील त्यासि पुसणे, कुर्यात सदा मंगलम ।। ४ ।।

 

लक्ष्मीः कौस्तुभ पांचजन्य धनु हे, अंगीकारी श्रीहरी ।

रंभा कुंजर पारिजातक सुधा, देवेंद्र हे आवरी ।।

दैत्यां प्राप्ति सुरा विधू विष हरा, उच्चैःश्रवा भास्करा ।

धेनुवैद्य वधू वराशि चवदा, कुर्यात सदा मंगलम ।। ५ ।।

 

लाभो संतति संपदा बहु तुम्हां, लाभोतही सद्गुण ।

साधोनि स्थिर कर्मयोग अपुल्या, व्हा बांधवां भूषण ।।

सारे राष्ट्र्धुरीण हेचि कथितीकीर्ती करा उज्ज्वल ।

गा गार्हस्थाश्रम हा तुम्हां वधुवऱां देवो सदा मंगलम ।। ६ ।।

 

विष्णूला कमला शिवासि गिरिजा, कृष्णा जशी रुख्मिणी ।

सिंधूला सरिता तरुसि लतिका, चंद्रा जशी रोहिणी ।।

रामासी जनकात्मजा प्रिय जशी, सावित्री सत्यव्रता ।

तैशी ही वधू साजिरी वरितसे, हर्षे वरासी आतां ।। ७।।

 

आली लग्नघडी समीप नवरा घेऊनि यावा घरा ।

गृह्योत्के मधुपर्कपूजन करा अन्तःपटाते धारा ।।

दृष्टादृष्ट वधुवरा न करितां, दोघे करावी उभी ।

वाजंत्रे बहु गलबला न करणे, लक्ष्मीपते मंगलम ।। ८ ।।

 

 

भागवताची आरती

 

श्री भागवत भगवान की है आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला॥
नवज्योति जगाने वाला।
हरि नाम यही, हरि धाम यही।
जग की मंगल की आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

ये शान्तिगीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला॥
हरि दर्स कराने वाला।
है सुख करनी, है दुःख हरिनी।
श्री मधुसूदन की आरती॥
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

ये मधुर बोल, जग फ़न्द खोल
सन्मार्ग बताने वाला।
बिगड़ी को बनाने वाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही।
प्रभु के महिमा की आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

श्री भागवत भगवान की है आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

 

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