भागवताची आरती श्री भागवत भगवान कि है आरती

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श्रीमद्भागवत आरती हिंदी १

श्री भागवत भगवान की है आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला॥
नवज्योति जगाने वाला।
हरि नाम यही, हरि धाम यही।
जग की मंगल की आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…


ये शान्तिगीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला॥
हरि दर्स कराने वाला।
है सुख करनी, है दुःख हरिनी।
श्री मधुसूदन की आरती॥
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

ये मधुर बोल, जग फ़न्द खोल
सन्मार्ग बताने वाला।
बिगड़ी को बनाने वाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही।
प्रभु के महिमा की आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

श्री भागवत भगवान की है आरती।
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान्…

श्रीमद्भागवत आरती हिंदी 2


आरती अतिपावन पुरानकी |
धरम-भक्ति-विज्ञान-खानकी ||
महापुराण भागवत निरमल |
शुक-मुख-विगलत निगम-कल्प-फल |
परमानन्द-सुधा-रसमय कल |
लीला-रति-रस रस निधानकी || आ०

कलि-मल-मथनि त्रिताप-निवारिनी |
जन्म-मृत्युमय भव-भय-हारिनी |
सेवत सतत सकल सुखकारिनी|
सुमहौषधि हरी-चरित-गानकी ||आ०

विषय-विलास-विमोह-विनाशिनी |
विमल विराग विवेक विकाशिनी |
भगवत्ततत्त्व-रहस्य प्रकाशिनी |
परम ज्योति परमात्म-ज्ञानकी || आ०

परमहंस-मुनि-मन उल्लासिनी |
रसिक-ह्रदय रस-रास-विलासिनी |
भुक्ति , मुक्ति , रतिप्रेम सुदासिनी |
कथा अकिञ्चनप्रिय सुजानकी || आ०

श्रीमद्भागवत आरती मराठी १
जय हो जय श्री भगवता

१ जय हो जय श्री भगवता
जय हो जय श्री भागवता | आरती करू तुज भगवंता |

श्री शुक मुनीने | परम भक्तीने | नाना परीने | गाईयेले ज्या हरि चरिता ||१||

आरती…….
वेद तरूचे मधुर फळ | स्वादु रसे जे सोज्वळ |
आत्माराम मुनी अचल | सेवुनी झाले जन सुफळ |
पाहा पर्वणी आणि | आली अवनी | हि अघ हरणी |
भवजल तरणी | ती पतिता ||२|| आरती……

येथे व्यासांची वाणी | सार्थक हरि गुण गाउनी |
शास्त्र पुराणी मुकुटमणी | परम प्रेमामृत जननी |
सहज सेविता | भाविक भक्ता | उदार दाता |
मोक्ष तत्वता | दे हाता ||३|| आरती……

गमते जणू मानस तीर्थ | व्दादश सोपाने युक्त |
निर्मळ भक्ती जले भरीत | विहरे हरि हंसची चित्त |
लोक सुकमळे | संत व्दिज कुळे | सेउनी रमले |
भान हरपले | रस पिता ||४|| आरती…..

अपार महिमा ग्रंथांचा | वदवेना कोणा साचा |
प्राणची किर्तनकारांचा | मेवा कवीवर संतांचा |
जणू बोधाचा | स्वयं प्रज्ञेचा | व्दादश कळीचा |
रवी अंतरीचा | तम हरता ||५|| आरती…..

ग्रंथ नोव्हे हा श्री कृष्ण | गीते वेधी मन पूर्ण |
अनन्य होता या शरण | खचित टळे जन्म मरण |
त्रिताप जाती | चिर ये शांती | नाथ हि वदती |
कृष्ण पदी ठेऊ माथा ||६|| आरती……

श्रीमद्भागवत आरती मराठी १
आरती निगम वृक्ष सारा

२ आरती निगम वृक्ष सारा

आरती निगम वृक्ष सारा | भागवत संज्ञा भाव पारा ||धृ||

नारद कथा साधू श्रवणी | परीक्षिती लवला शुक चरणी |
विरागी तनु त्याग करुनी | कथी अवतार कथा भरणी |
विदुर मैत्रेय संग घडला | विधी अति कष्टी | निपजवी सृष्टी |
सुखाची वृष्टी | कपिलमुनी देवहुति धारा |
पुरातन सुकर अवतारा ||१|| आरती निगम …..

ब्रम्ह्सुत वसे दक्ष यागी | आला ध्रुव तपे अचल भागी |
पृथु प्राचीनबर्ही त्यागी | प्रियव्रत वनवासा लागी |
मही आकार गोल वदला | नरक भय हरुनी |
अजामेळ तरुनी | बोध बहू करुनी | चित्रकेतुने पैल पारा |
काश्यप संतती सुख सारा ||२|| आरती निगम ……


भक्त प्रल्हाद भये तरला | हरि नरहरी रूपे नटला |
नक्रा पासूनि करी सुटला | समुद्र मंथुनी बळी विटला |
कूर्म मोहिनी भिषक राजा | रविशशी गोत्र | समय युग गात्र |
आणिक नृपपात्र | कृष्णभक्तीशी अंकूपारा |
नवमा संपविला सारा ||३|| आरती निगम ……

कंस चाणूर मुख्य वीरा | दमया अवतरला हिरा |
गोकुळी लीला करसी सारा | साह्य झाला अर्जुन वीरा |
उद्धवा ज्ञान कला बोधी | मलय युग विनय | मृकुंडी तनय |
परीक्षिती सुनय | पावला हरि चरणी थारा |
विठ्ठल वेदे स्कंद बारा ||४|| आरती निगम …..

श्रीमद्भागवत आरती हिंदी ३
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥धृ||

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…||४||

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…||४||

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच; चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… ||४||

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद; टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… ||४||

भागवत आरती ५

Man Mein Basa Kar Teri Murti Lyrics in Hindi
भजन: मन में बसाकर तेरी मूर्ति

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥


करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,
भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,
करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,
भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,
दर्द की दवा तुम्हरे पास है,
जिंदगी दया की है भीख मांगती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥


मांगु तुझसे क्या मैं यही सोचु भगवन,
जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,
मांगु तुझसे क्या मैं यही सोचु भगवन,
जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,
सब कुछ तेरा कुछ नहीं मेरा,
चिंता है तुझको प्रभु संसार की ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥


वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,
नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,
वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,
नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,
भक्त तेरे द्वार करते है पुकार,
दास अनिरुद्ध तेरी गाये आरती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥


मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू मैं गिरधर तेरी आरती ॥

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