पाप और फल : धनंजय महाराज मोरे

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पाप और फल

कहते हैं ना इंसान गलतीयों का पुतला है,गलती तो हर इंसान से होती है| जाने अनजाने में की गई गलती को हर कोई माफ़ कर देते हैं,और भगवान भी उसे माफ़ तो कर देते हैं साथ में एक और मौका भी देते हैं उस गलती को सुधारने के लिए | लेकिन जान बुझकर की गई गलती कभी माफ़ नही होती |
ऐसे ही कुछ गलती हर कोई इंसान अपने जीवन मे करता है – जो भगवान उसे माफ़ नही कर सकते उस गलती का सज़ा तो भुगतना ही होगा |

1. झूठ – जो स्त्री या पुरुष झूठ का सहारा लेते हैं और अपनी झूठ को छिपाने के लिए कई सारे झूठ बोलते हैं उन्हें भगवान कभी माफ़ नही करते हैं |

2. वाणी पर असंतुलन – जो स्त्री या पुरुष अपनी वाणी पर संतुलन नही रख पाते हैं वे ना चाहते हुए भी कुछ ऐसा शब्द बोल लेते जिससे किसी को ठेस पहुँचती है | और जब हम किसी को ठेस पहुंचाते हैं उसका हृदय टुट जाता है उसे बहुत बुरा लगता है | किसी का दिल दुखाना यह भी पाप के दायरे में आते हैं | ë

7;वाणी असंतुलन से किसी अपने या विपक्ष से वाद विवाद होता है – और गुस्से में हमारे वाणी से अभद्र शब्द निकलते हैं और यह हिंसा का रुप ले लेती है | और यह गलती भगवान माफ़ नही करते | जो बोल सकते हैं उसे यह अधिकार नही है कि वे जो दिल करे बस बोले जाए | ऐसे लोगों के भगवान वाणी छीन लेते हैं और वे अपने अगले जन्म में कभी बोल नही पाते यह बहुत बडी सज़ा है |

3. किसी भी स्त्री का अपमान करना,बुरी नज़र रखना और शारीरिक हिंसा – जो पुरुष किसी भी स्त्री का अपमान करता है तो बहुत बडा गुन्हेगार है यही नही जो पुरुष स्त्री पर बुरी नज़र रखता है और मन मे उसके प्रति काम भावना या शारीरिक शोषण की भावना रखा है तो वह बहुत बडा गुन्हेगार है| स्त्री के प्रति शारीरिक हिंसा करने वाले भी गुन्हा माफ़ नही की जाती |


4. बुरा देखना और सुनना – जो लोग बुरी चीज़ देखना पसंद करते हैं जैसे – अश्लील तस्वीरे और वीडियोस देखना पसंद करते हैं वे भी गुन्हेगार मे आते है यही नही जो बुरी बाते सुनते हैं वे भी | बुरा चीज़ देखने और सुनने से हमारे मन मे पाप उत्पन्न होता है और वह हमसे आगे क्या करवाने है इसका अनदज़ा तो नही लगा सकते हैं किन्तु इसका परिणाम सही नही होता और इस कारण से हुए गलती को भगवान कभी माफ़ नही करते हैं |

यह केवल 4 कारण नही हैं जिसके गलती से हमे भगवान माफ़ नही करते ऐसे बहुत सारे गलती हैं जिससे भगवान क्रोधित हो जाते हैं और सज़ा जरुर मिलती है | विद्यालय मे केवल वही शिष्य गुरु के प्यारे होते हैं जो गुरु के वचनो और गुरू के पद चिन्ह पर चलते हैं | जो गुरु के विरुद्ध कार्य करते हैं उन शिष्य को गुरु सज़ा तो देती है लेकिन वे बार बार गलती के कारण कभी उतीर्ण नही होते |

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