दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी दुर्गा देवी आरती संस्कृत आरती : धनंजय महाराज मोरे 1 ✔👇हे इतरांही शेअर करा 👇 श्री दुर्गायाः आरतिः || (मूल मराठी- दुर्गे दुर्घट भारी) दुर्गे सुदुर्गमोऽस्ति त्वदृते संसारः अनाथनाथे अम्बे अस्तु कृपाप्रसरः | वारय वारय जननम् मरणम् वारय मे अस्मि विपत्तिषु पतितो मातस्तारय मे || १|| || जय देवि जय देवि || जय देवि जय देवि महिषासुरमथिनि | सुरवर- ईश्वर- वरदे संजीवनि तारिणि || धृ. || त्रिभुवन- भुवने नाऽन्या भजते त्वत्साम्यम् वेदचतुष्कम् श्रान्तम् त्वाम् स्तोतुम् अशक्तम् | विवदत् प्रवाहपतितम् षट्शास्त्राधारम् किन्तु त्वम् भक्तेषु प्रसीदसि क्षिप्रम् || २|| || जय देवि जय देवि || प्रसन्न- वदने दासे प्रसीदसि त्वरितम् क्लेशान् मोचय मातश्छेदय भवपाशम् | अम्बे त्वदृते को माम् कुर्यात् पूर्णाशम् नरहरि- मन आस्ते तव पदपंकजलीनम् || ३|| || जय देवि जय देवि || || जय जय दुर्गे जगदम्बे || भक्तान् तारय हे अम्बे || नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः | नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् || ✔ही माहिती ईतरांनाही पाठवा⬇WhatsAppTweetTelegramEmailPrint Related1 1 ✔👇हे इतरांही शेअर करा 👇 Previous Post लवथवती विक्राळा ब्रम्हांडी माळा शंकराची आरती संस्कृत आरती Next Post श्रीकृष्णाष्टकं भजे व्रजैकमण्डनं श्रीकृष्णाष्टकम